मूत्राशय की शिथिलता और आउटलेट अवरोध के बारे में आयुर्वेदिक अंतर्दृष्टि आयुर्वेद के दृष्टिकोण से मूत्र संबंधी विकारों की पारंपरिक समझ और समग्र प्रबंधन पर गहन विचार प्रस्तुत करती है। यह सत्र मूत्राशय की शिथिलता और अवरोधक यूरोपैथियों के कारणों (निदान), रोग-क्रिया विज्ञान (सम्प्रति) और वर्गीकरण पर आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से चर्चा करेगा। इन स्थितियों के समाधान हेतु हर्बल योगों, पंचकर्म चिकित्साओं और आहार एवं जीवनशैली में बदलाव पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस वेबिनार का उद्देश्य पारंपरिक आयुर्वेदिक सिद्धांतों को आधुनिक मूत्र संबंधी चिंताओं से जोड़ना और प्रभावी एवं स्थायी प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करना है।
आयुरप्रेन्योर अकादमी, राजकोट, गुजरात के संस्थापक
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